संस्थागत निर्माण
संस्थागत निर्माण से सहकारिताएं जीवनक्षम तथा सदस्यों द्वारा नियंत्रित उद्यम बनेंगी ।
उपर्युक्त उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, संस्थागत निर्माण के लिए दो स्तरों अर्थात ग्राम स्तरीय डेरी सहकारिता समिति (डीसीएस) के स्तर तथा दूध संघ (जिला/क्षेत्रीय) के स्तर पर प्रयास किए जाते हैं ।
डीसीएस स्तर: सभी उत्पादक सदस्यों, प्रबंध समिति के सदस्य एवं सचिव तथा समिति से संबद्ध अन्य कर्मचारियों के बीच एक साझा विजन तैयार करना । ग्राम स्तर की समिति को निर्णय लेने की शक्तियां प्रदान करना, जिससे संचालनों में वृद्धि एवं स्थिरता सुनिश्चित की जा सके । डीसीएस स्तर के प्रयासों का उद्देश्य समिति को सहकारिता के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है, जिससे इसके अस्तित्व के उद्देश्य से इनकी गतिविधियों में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके ।
दूध संघ स्तर: दूध संघों को एक जीवंत व्यावसायिक उद्यम बनने और संकलन, प्रसंस्करण, विपणन, उत्पादकता के उच्चतम लक्ष्यों को हासिल करने तथा सदस्यों के प्रति उत्तरदायी बनने के लिए उचित सहयोग देना । इसमें निदेशक मंडल, प्रबंधकों और कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी के प्रति उत्तरदायी बनने में उनकी सहायता करना है । इससे संघ को अपने व्यवसाय में वृद्धि सुनिश्चित करने की रणनीति बनाने और अपने डीसीएस सदस्यों की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए दीर्घकालिक योजना को विकसित एवं क्रियान्वित करने में सहयोग मिलता है । संघ स्तर के प्रयासों का उद्देश्य सहकारिता के मूल्यों एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए दूध संघ को नीतिगत शासन सिद्धांतों को अपनाने एवं उनको क्रियान्वित करने में सहयोग देना है ।
संस्थागत निर्माण के प्रति एनडीडीबी के दृष्टिकोण का उद्देश्य मुख्यत: डेरी सहकारी समितियों (डीसीएस) के प्राथमिक सदस्यों, प्रबंध समिति के सदस्यों एवं कर्मचारियों के साथ-साथ प्रोफेशनलों तथा दूध उत्पादक सहकारी संघों के निर्वाचित बोर्डों में व्यवस्थित एवं मूल्य पर आधारित क्षमताओं का विकास करके ग्रामीण समृद्धि लाने पर आधारित है ।