‘हरा चारा उत्पादन प्रौद्योगिकियों’ का विकास एवं लोकप्रियता
क. चारा उत्पादन और उपयोग हेतु आईसीएआर-आईजीएफआरआई, झांसी और एआईसीआरपी केंद्रों के साथ सहयोग
एनडीडीबी ने चारा उत्पादन और उपयोगिता पर अनुसंधान और विकास के लिए एआईसीआरपी के अंतर्गत आईजीएफआरआई, झांसी और चारा प्रजनन केंद्रों के साथ समन्वय किया हुआ है, जो चारा फसल उत्पादन प्रौद्योगिकी और डेरी किसानों के लिए इसके विस्तार से संबद्ध है ।
केंद्रीय वैरायटी रिलीज समिति (सीवीआरसी) का सदस्य होने के नाते, एनडीडीबी चारा फसलों की नई किस्मों की पहचान और रिलीज में अहम भूमिका निभाती है।
एनडीडीबी चारा बीज उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि के लिए ‘वैरायटी-विशेष’ बीज के उत्पादन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए आईसीएआर संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ भी सहयोग करती है। उसके बाद, डेरी सहकारी नेटवर्क के अंतर्गत आने वाले बीज उत्पादकों और बीज उत्पादन एजेंसियों को इसके बारे में सूचित किया जाता है ।
ख. डेरी किसानों के लिए अधिक प्रासंगिक चारा फसलों की कृषि पद्धतियों का विकास
एनडीडीबी ने महत्वपूर्ण चारा फसलों जैसे चारा बीट, कांटे रहित नागफनी और मोरिंगा चारे की खेती की प्रौद्योगिकियों का विकास करने की पहल की है, जो छोटे/सीमांत डेरी फार्मों में उत्पादकता में सुधार लाने की अधिक प्रासंगिक हैं ।
जागरूकता पैदा करने के लिए इन फसलों की कृषि पद्धतियों का दस्तावेजीकरण और प्रकाशन किया गया है। डेरी सहकारिताओं को अनुशंसित कृषि पद्धतियों के विवरण के साथ इन फसलों के सैंपल बीज और रोपण सामग्री भी प्रदान की गई है।
डेरी किसानों को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए एनडीडीबी चारे की जारी की गई नई किस्मों का, चारा उत्पादन/ चारे की गुणवत्ता के लिए स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन भी करती है।
ग. आईसीएआर-आईआईएमआर के साथ एमओयू
मक्का, 100 दिनों में 70 मीट्रिक टन/ हैक्टेयर की उच्च चारा उत्पादन की क्षमता और साइलेज बनाने के लिए अधिक उपयुक्त होने के कारण चारे की खेती के लिए एक उत्तम फसल है।
चारे और साइलेज के उद्देश्य से पत्तेदार संकर मक्का संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए एनडीडीबी ने भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईएमआर) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है। पत्तेदार संकर मक्का किस्म में वांछित गुण जैसे पत्ती : तना का अनुपात, पाचन योग्य स्टार्च, ब्रिक्स प्रतिशत और अधिक चारा उत्पादन होता है जो वर्तमान में किसानों द्वारा साइलेज बनाने के लिए उपयोग किये जा रहे मक्का की अनाज वाली संकर किस्मों की तुलना में अधिक होता है। एनडीडीबी भी साइलेज बनाने के उद्देश्य से आईसीएआर-आईआईएमआर द्वारा विकसित संकर मक्का डीएमआरएच-1410 की पैतृक लाइनों का बीज उत्पादन कर रहा है।
घ. विदर्भ के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में चारे का विकास
विदर्भ में सिंचाई की समुचित सुविधाओं के अभाव और वर्षा की कमी के कारण किसानों को हरे चारे की अत्यधिक कमी का सामना करना पड़ता है । एनडीडीबी ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के चालीस गांवों में आधुनिक चारा उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों के बारे में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है । इस प्रायोगिक परियोजना के हिस्से के रूप में निम्नलिखित गतिविधियां शुरू की गई थी:
• चारा विकास गतिविधियों पर किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम।
• ज्वार और मक्का की उन्नत किस्मों के बीजों का वितरण।
• विदर्भ में पहली बार चारे की नई फसल - जई की शुरुआत।
• किसानों को चारा संरक्षण की तकनीक सिखाने के लिए साइलेज बनाने का प्रदर्शन।
• उपर्युक्त बिंदुओं को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए किसानों का निरंतर सहयोग करना ।
ड. मुजकुवा डीसीएस में एकीकृत चारा विकास मॉडल का क्रियान्वयन
चारे की कमी से निपटने के साथ-साथ किसानों द्वारा चारे के अप्रभावी उपयोग से निपटने के लिए एनडीडीबी ने गुजरात के आणंद जिले के मुजकुवा डीसीएस में एकीकृत चारा विकास मॉडल पर एक प्रायोगिक परियोजना क्रियान्वित की है ।
इसे विभिन्न चारा विकास कार्यक्रमों के भाग के रूप में कार्यान्वित किया गया था, जिसका ब्यौरा इस प्रकार है -
• चारे की खेती के लिए गोचर भूमि (सामान्य चरागाह भूमि) का विकास।
• चारा कुट्टी मशीन की आपूर्ति और उपयोग के लिए किराये के मॉडल का प्रचार। इसका उद्देश्य चारा उपयोगिता से संबंधित समस्याओं में कमी लाना था।
• वर्षभर चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किसानों को बीएन संकर घास की स्टेम कटिंग की आपूर्ति।
• ज्वार, मक्का और रिजका की उन्नत किस्मों के चारा बीजों की आपूर्ति।
• प्रगतिशील किसानों को, चारा प्रदर्शन इकाई एनडीडीबी आणंद, गुजरात में प्रशिक्षण।
• एचडीपीई बैग में साइलेज निर्माण का प्रदर्शन।
• लघु व्यावसायिक साइलेज निर्माण के मॉडल का प्रचार।
• बीएन संकर घास के स्टेम कटिंग का व्यावसायिक उत्पादन और बिक्री का प्रचार।
च. बायोगैस स्लरी का चारे की खेती में उपयोग
‘हरित प्रौद्योगिकियों’ को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों के अनुरूप एनडीडीबी ने रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके चारे की खेती के लिए 'बायोगैस' संयंत्रों द्वारा निर्मित स्लरी का उपयोग करने की शुरूआत की है।
जैविक खाद के रूप में बायोगैस स्लरी का उपयोग बीएन संकर घास के लिए अत्यंत उपयोगी पाया गया है। एनडीडीबी द्वारा अपने सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में इस तकनीक के बारे में किसानों को निरंतर प्रशिक्षित किया जाता है।