आहार संतुलन कार्यक्रम
"एनडीडीबी द्वारा दुधारू पशुओं के आहार संतुलन पर किसानों को शिक्षित करने हेतु शुरू किया गया एक कार्यक्रम।"
किसान अपने पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञात पारंपरिक ज्ञान के आधार पर, स्थानीय क्षेत्र में उपलब्ध एक या दो खाद्य पदार्थ जैसे कि चोकर, खली, चूनी, अनाज के दाने इत्यादि और मौसम के हिसाब से हरा चारा तथा फसल अवशेष/ भूसा अपने पशुओं को खिलाते रहते हैं। बहुत कम किसान अपने पशुओं को रोजाना खनिज मिश्रण खिलाते हैं, जो खिलाते भी हैं वो 25 से 50 ग्राम ही खिलाते हैं । पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे तथा आहार की मात्रा ज्यादातर उनकी आवश्यकताओं से कम या अधिक होती है जिससे उनके आहार में प्रोटीन, ऊर्जा या खनिज का असंतुलन हो जाता है। ऐसे असंतुलित आहार के कारण पशु दूध कम देता है, उत्पादन लागत अधिक हो जाती है तथा पशु का स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए किसानों को दुधारू पशुओं के आहार संतुलन पर शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
एनडीडीबी ने ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिसे लैपटॉप, नेटबुक, टेबलेट और फोन पर सरलता से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से पशुओं के प्रकार जैसे कि गाय या भैंस, पशु की आयु, दूध के उत्पादन, दूध के फैट, पशुओं को खिलाने की पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए संतुलित आहार बनाया जाता है और दूध उत्पादकों को उनके पशुओं के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों की मात्रा को क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण के साथ समायोजित करने की सलाह दी जाती है ।
एनडीपी I की उपलब्धियां:
इस कार्यक्रम को भारत के 18 प्रमुख डेरी राज्यों में 21.57 लाख किसानों के 28.65 लाख डेरी पशुओं को शामिल करते हुए 33,374 गांवों में क्रियान्वित किया गया था। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप दूध उत्पादन और फैट की मात्रा में वृद्धि हुई और साथ ही आहार की लागत में कमी आई । आहार की लागत में कमी (रु.16.3) और अतिरिक्त दूध उत्पादन और फैट की मात्रा में कमी (रु. 9.2) के कारण किसानों की शुद्ध दैनिक आय में प्रति पशु औसतन रु. 25.5 की वृद्धि हुई।
आरबीपी के परिणामस्वरूप, गायों के लिए औसतन 26 दिन और भैंसों के लिए 50 दिन की दुग्धकाल अवधि (दूध के दिन) में भी वृद्धि हुई ।
इसके अलावा, डेरी गायों और भैंसों को संतुलित आहार खिलाने के कारण प्रति किग्रा दूध उत्पादन के लिए आंत्रीय मीथेन उत्सर्जन में औसतन 13.7% की कमी आई ।
दूध उत्पादन, फैट प्रतिशत और आहार की लागत पर आरबीपी का प्रभाव
मापदंड |
आरबीपी से पहले |
आरबीपी के बाद |
अंतर |
औसत दूध उत्पादन (प्रतिकिग्रा/प्रतिपशु/प्रतिदिन) |
7.08 |
7.35 |
+0.27 |
दूध में औसत फैट% |
4.70 |
4.78 |
+0.08 |
भोजन की औसत लागत (रु./प्रतिकिग्रा दूध) |
19.49 |
17.19 |
-2.30 |
आहार की औसत लागत (रु./प्रतिपशु/दिन) |
135.42 |
119.09 |
-16.33 |
शुद्ध दैनिक आय में वृद्धि (रु./पशु) |
+25.52 |
||
प्रति किग्रा दूध के प्रति आहार लागत में कमी का प्रतिशत |
11.80% |
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पूर्ण दुग्धकाल की स्थिति में प्रति दुग्धकाल शुद्ध आय में वृद्धि |
आहार संतुलन कार्यक्रम के लाभ:
• स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पशु खाद्य पदार्थोँ का प्रयोग करके कम कीमत में संतुलित आहार का निर्माण करना ।
• दूध उत्पादन, फैट एवं एसएनएफ में वृद्धि
• शुद्ध आय में वृद्धि
• प्रजनन क्षमता में सुधार
• दो ब्यांतों के बीच की अवधि में कमी आती है, जिससे पशुओं का उत्पादन जीवन में वृद्धि होती है
• पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार
• बछड़ों – बछियों की वृद्धि दर में सुधार होता है, जिससे कि वे शीघ्र युवा हो जाते हैं ।
संतुलित आहार परामर्श सेवाएं अधिक संख्या में दूध उत्पादकों को उपलब्ध कराने के लिए आहार संतुलन सॉफ्टवेयर 'पशु पोषण' ऐप का एक सरल संस्करण विकसित किया गया है जिसे दूध उत्पादकों द्वारा स्वयं उपयोग में लाया जा सकता है । यह ऐप दूध उत्पादकों को दूध उत्पादन की लागत को अनुकूलित करने के साथ-साथ उनके डेरी पशुओं की उत्पादकता और प्रजनन दक्षता में सुधार करने में सहयोग करेगा।
प्लेस्टोर पर 'पशु पोषण' ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक
दुग्ध उत्पादन के विभिन्न स्तरों वाली गायों और भैंसों के लिए राशन सलाह (RAs)