हरा चारा उत्पादन में वृद्धि

किसानों के मध्य चारा उत्पादन एवं संरक्षण की उन्नत तकनीकों के बारे में जागरुकता एवं स्वीकार्यता उल्लेखनीय ढंग से हरे चारे की उपलब्धता एवं उत्पादन को गुण्वत्ता और मात्रा में बढ़ेगी | एनडीडीबी किसानों / प्रशिक्षणार्थियों को चारे की उन्नत किस्मों जैसेकि अनाज वाली फसलें (मक्का, ज्वार, बाजरा, जई, जौ), दलहनी फसलों (रिजका, बरसीम, लोबिया, राइस बीन, वैलवेट बीन), बहुवर्षीय घांसे (संकर नेपियर, गिनी घास, कोंगो सिग्नल घास, पैरा घास) और बहुवर्षीय दलहनी चारा फसलें (सिरट्रो, क्लाईटोरिया, स्टाईलो) और चारा वृक्ष (शेवरी, गिलिरीसीडिया, अगस्थी, ड्रमस्टिक) की खेती का प्रदर्शन अपने चारा प्रदर्शन इकाई पर करती है | चारा विकास के उद्देश्य से विभिन्न दुग्ध संघों के चारा अधिकारियों और क्षेत्रीय कर्मचारियों के लिए चारा उत्पादन एवं संरक्षण तकनीकों पर निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किया जाता है |

शुष्क / अर्ध शुष्क क्षेत्रों में चारे में इस्तेमाल के लिए कांटा रहित नागफनी की खेती को प्रचलित किया जाएगा | पानी बचाने और उर्वरकों को सिंचाई के साथ देने वाली व्यवस्था में टपका विधि द्वारा सिंचाई एवं प्लास्टिक मल्चिंग के साथ कांटा रहित नागफनी और अत्यधिक पोषक खाद्य एवं चारा वृक्ष मोरिंगा (ड्रमस्टिक) को आधुनिक रेज्ड बेड-सूक्ष्म सिंचाई तंत्र का प्रदर्शन चारा प्रदर्शन इकाई पर शुरु किया जा चुका है | शुष्क / अर्ध शुष्क क्षेत्रों में कांटा रहित नागफनी की रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के लिए एन.डी.डी.बी. ने एक सांझा योजना शुरु की है | एन.डी.डी.बी., दुग्ध संघो को विभिन्न आई.सी.ए.आर. संस्थानों / कृषि विश्वविद्यालयों से प्रजनक बीज खरीदने, प्रमाणित / सत्यापित बीजों को बेचने और उनके तकनीकी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद करता है | दुग्ध संघ उन्नत किस्म का मक्का (अफ्रीकन टॉल, जे.-1006, और प्रताप मक्का चरी), बहु-कटाई ज्वार (पंत चरी 6 और सी.एस.एच.24एम.एफ.), एकल कटाई ज्वार (पंत चरी 5, एच.जे.-513, और एच.सी.136), जई (कैंट, यू.पी.ओ.-212, जे.एच.ओ.-822), बाजरा (बायफ बाजरा 1 और जी.एफ.बी.1), बरसीम (बी.एल.-1, बी.एल.-10, वरदान, जे.बी.1), रिजका (आनंद-2), लोबिया (ई.सी.-4216, यू.पी.सी.9202, यू.पी.सी.8705, और यू.पी.सी.628) का बीज उत्पन्न कर रहे हैं और बेच रहे हैं |

क्षेत्रीय और मौसमी असंतुलन के कारण अतिरिक्त (अधिशेष) चारा वाले क्षेत्रों में फसल के अवशेष की काफी बर्बादी होती है, जबकि कुछ क्षेत्रों में सूखे चारे की बारहमासी कमी रहती है। क्षेत्रीय असुंतलन और कमी के कारण न केवल पशुओं की उत्पादकता प्रभावित होती है बल्कि सूखे चारे द्वारा ज्यादा स्थान घेरने की वजह से फसल के अवशेष को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने पर भी भारी खर्च होता है।

एनडीडीबी द्वारा फसल के अवशेष को विभिन्न रूप जैसे कि ब्लॉक, गोली आदि में संवर्धन और सघनीकरण करने के लिए विभिन्न तरीकों और मशीनरी को तैयार किया है, जो उनकी पोषक गुणवत्ता और घनत्व को बेहतर बनाता है। चारा प्रबंधन, संवर्धन और सघनीकरण की मशीने न केवल पशुओं के लिए अतिरिक्त चारा उपलब्ध कराती है बल्कि कृषि उत्पादकता को बढाने और स्वच्छ वातावरण प्रदान करने में भी मदद करती है। 

लिंक: http://www.dairyknowledge.in/section/fodder-development

अधिक जानकारी के लिए: